जुगुल किशोर बुन्देला IPS (Rtd)- सावधान भारत
@ipsjkishore08
हमारा हांथ सनातन, संस्कृति, सदाचार, समता, समाज एवं स्वाभिमान के साथ। RT or Tags are not endorsed.
वट वृक्ष शुरू मे इतना छोटा होता है कि बकरी से भी बचाना पड़ता है, पर जब विशाल वट वृक्ष बन जाता है तो हाथी भी बंधा रहता है। अपना प्रयास वट वृक्ष की तरह ही है, जो कुछ ही समय मे विशाल हो जायेगा और भीषण विषमताओं की गर्मी से मुक्ति पाने को समाज का हर व्यक्ति उसकी छाया लेने को दौड़ेगा।

निःसंदेह। क्या यह कृत्य देशद्रोह नही है ? एक न एक दिन इसका मूल्य देश को चुकाना ही होगा। तब इन बटवारे की मानसिकता वालो को जन सामान्य क्या उपाधि देगा विचारणीय है? जो आज एक विभाजन की साजिश के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन मे हैं, उनकी पीढियां भी इसका दंश झेलेंगी।
जाति जनगणना करके सरकार ने देश को फिर से बाँटने का काम किया है। मोदी जी को दशकों तक इस ख़राब फ़ैसले के लिये याद किया जायेगा। ⬇️
“Success comes from making the right decisions. Right decisions come from experience. And experience often comes from making wrong decisions.” That’s the beautiful cycle of growth — learning, evolving, and becoming wiser.

कोई क्षेत्र प्रतिभावानों से वंचित न रहना चाहिए भले ही देश, भाषा, साहित्य, संस्कृति का जनाजा निकल जाए। आखिर विश्वगुरु जो बनाना है न देश को।

अधिकांश मंत्रियों और बड़े नेताओं के बच्चे विदेशों मे पढ़ते हैं ये नेता 78 वर्ष बाद भी देश में ऐसे विद्यालय/विश्व विद्यालय नही बना पाये कि उनके बच्चे देश मे ही उच्च शिक्षा ले सकें। है न आश्चर्यजनक ? शिक्षा का स्तर क्यों सुधारने चले हुक्मरान ?
हम सबके प्रिय, हर दिल अजीज, इंडिया लाइव 24"×7 के प्रधान संपादक श्री सुनील कुमार वर्मा जी को जन्म दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। @vedprakash8888 @sunilvermasonu

मर्यादा लांघकर चर्चित हो जाना कोई बड़ी बात नहीं सुकून तो तब है, जब संस्कारों की सीमा में रहकर दिलों में जगह बनाई जाए ।

गौ माता इतने कष्ट मे ?
#प्रयागराज कौंधियारा क्षेत्र के कुल्हाड़िया गौशाला की दयनीय स्थिति!क्या गौवंश की जान की कोई कीमत नहीं?जिम्मेदार कौन है? @DM_PRAYAGRAJ को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए।आखिर कब तक ऐसे ही तड़प-तड़प कर अपने मौत का इंतजार करते रहेंगे ये बेजुबान? कब तक अनदेखी होगी इस दुर्दशा की? #UPCM
धीरे धीरे सबके समझ मे आयेगा।
राज्य मंत्री प्रतिभा शुक्ला के पति और पूर्व सांसद अनिल शुक्ल वारसी भी बैठे धरने पर। फाँसी लगाकर जान देने की बात कही। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने पूर्व सांसद अनिल शुक्ल वारसी से की बातचीत। बोले आप लोग सुरक्षा नहीं कर सकते, क्या आपको डिप्टी सीएम इसलिए बनाया गया है?
असल मे देश मे अब बड़बोलापन का ही बोलबाला है। सत्य और तथ्य से कोई लेना देना नही। डायन प्रथा और फिर राष्ट्रपति का नाम लेना भाषण लिखने वाले के दिवालियापन का परिचायक है। इसके पूर्व भी महिलाएं राष्ट्रपति भी रही और प्रधानमंत्री भी। असल मे ये वो लोग हैं जिनकी आंखे 2014 के बाद खुली हैं
ये लड़की कौन है मुझे नहीं मालूम है, ये लड़की संविधान के महिमा के बारे में बड़ी बड़ी बाते कर रही है लेकिन इसे संविधान का ABCD नहीं मालूम है । भारत का संविधान भारत के नागरिक- नागरिक में घनघोर भेदभाव करता है।https://t.co/5g4PygpSnX
जय हो ।
ये लड़की कौन है मुझे नहीं मालूम है, ये लड़की संविधान के महिमा के बारे में बड़ी बड़ी बाते कर रही है लेकिन इसे संविधान का ABCD नहीं मालूम है । भारत का संविधान भारत के नागरिक- नागरिक में घनघोर भेदभाव करता है।https://t.co/5g4PygpSnX
पढ़े लिखे नेता से बात करेंगे तो मुंह की खानी ही पड़ेगी। यही अंतर होता है संस्कारवान और अहंकारवान मे।
जब पाकिस्तान बैकफुट पर था, हमारी सेनाओं ने उनको मार-मारकर घुटनों पर ला दिया था, फिर सरकार ने सीजफायर क्यों किया? जैसे ही @PrashantKishor ने 'ऑपरेशन सिंदूर' पर उनका सवालों का जवाब देना शुरू किया, वैसे ही ANI न्यूज़ एजेंसी की हेड स्मिता प्रभाकर और नवीन कपूर घबरा गए और बचाव की…
जिस देश मे प्रतिभाओं का हनन हो उसका और उसके नागरिकों का भला कैसे होगा ? सुनिए पपुरी पीठाधीश्वर भगवान शंकराचार्य जी को। ये कैसी राजनीति है ? ये कितने नीच हैं, जिन्हें अपनी धरोहर की कद्र नही। क्या केवल चुनाव जीतने की कला ही श्रेष्ठता का पैमाना है ?
गोवर्द्धन मठ में कितना प्रतिशत गणित है ?
यदि देश को भ्रष्टाचार, अन्याय और गृह युद्ध से बचाना है तो एक ही उपाय है कि गुरुकुल पद्यति के विद्यालय खोले जांय जहाँ धर्म (मानवता) एवं नैतिक शिक्षा अनिवार्य हों। सभी के लिए शिक्षा एक समान एवं निःशुल्क हो। संस्कारवान शिक्षित पीढी ही वयस्क होकर न्यायपूर्ण शासन की स्थापना करेगी।

जो ईश्वर को मानते है,कर्म सिद्धांत को मानते हैं,विज्ञान को मानते है (विज्ञान मे भी क्रिया प्रतिक्रिया का सिद्धांत है) वे कभी भ्रस्टाचार,उत्पीडऩ,भेदभाव,अन्याय नही कर सकते क्योंकि परिणाम जानते है। केवल राक्षस प्रवृत्ति के लोग ही इसे नही मानते जो पद, पैसा शक्ति पाकर अन्याय करते हैं।

अब इससे भी ज्यादा दुर्दशा होगी क्या ? इतनी लीपापोती? इतनी अंधरगर्दी? आंखों पर मोतियाबिंद, कान बहरे ? दिल, दिमाग तो है ही नही यह तो पता था, किन्तु इतना धूर्त निकलेगा सोचा न था । कुर्सी इतना नीचे गिरा देती है, सोचा न था।
पूर्णतया सहमत।
वर्तमान राजनीति और राजनेता ऐसी परिस्थिति बना दिए हैं कि कोई सत्ता मे आने का पात्र नहीं है। प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद और विधायक। जनता को चाहिए कि हर चुनाव मे नए लोगों को अवसर दें ताकि भ्रष्टों को यह लगे कि अब यह नही चलेगा और नए लोगों को लगे कि हमे क्यों चुना गया?
“जीवन में दो ही व्यक्ति असफल होते हैं- एक वे जो सोचते हैं पर करते नहीं, दूसरे जो करते हैं पर सोचते नही।"

झूँठ झूँठ बोलते बोलते , झुंठों मे रमते रमते, झूँठ झूँठ खेलते खेलते अंत समय भी झूँठ ही निकलता है। झूंठे का मुंह काला। प्यादा हो या आला।।
ऐसे ऐसे लोग राजनीति मे सफल हो जा रहे हैं। यह देश और जनता का दुर्भाग्य नही तो क्या है ?
अर्जेंट RT 🚨 इन चुटीये को नेता कौन बनाता है 😂😂 ये वीडियो समस्तीपुर (Samastipur) से आया है, जहां एक विधायक या स्थानीय नेता के "डे-नाइट अल्ट्रा वर्जन" की झलक मिल रही है। दिन में #Sanskar i By Day और रात में #Party By Night वाला सीन लोगों को हैरान कर रहा है।😂😂
देश में जातिवादी नफरत सिर्फ देश की संसद में बैठे हुए लोग फैला रहे हैं। 1931 की जनगणना में भारत में कुल 4,147 जातियां दर्ज की गई थीं 2011 की जनगणना के पश्चात देश में कुल जातियों की संख्या 46 लाख से भी अधिक बताई गई थी। आप खुद ही सोचिए की आजादी के बाद देश में जातियों की संख्या…