Krishna Kant
@kkjourno
Journalist. सत्यमेव जयते 🇮🇳 'तथ्य, तथ्य होते हैं, वे आपकी पसंद के हिसाब से गायब नहीं हो जाएंगे।' - पंडित नेहरू
निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है। क्या मोदी सरकार चुनावों में फ्रॉड करके संविधान को खत्म कर रही है?
जो हरदम सत्ता के सामने झुके रहे, जो अपने पद की मर्यादा को तार-तार करके सत्ता का नाजायज समर्थन करते रहे, वे एक दिन अचानक विदा हो गए। संवैधानिक पद की विदाई परंपरा भी नहीं निभाई गई। जिसके लिए हमेशा झुके रहे, वही उनके "पद छोड़ देने लायक गंभीर बीमारी" के बाद हालचाल लेने भी नहीं गया।…

कहा जा रहा है कि बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार सब पड़ोसी देशों के लोग घुसपैठिया बनकर भारत में आ रहे हैं। गोदी मीडिया दिनभर भजन गाता है कि देश मजबूत हाथों में है। देश मजबूत हाथों में है तो फिर खाला जी का घर कैसे बन गया कि जिसका मन कर रहा, मुंह उठाए चला आ रहा है?
बिहार में पुल गायब होते होते सरकारी खजाने से 71 हजार करोड़ रुपये ही गायब हो गए। किसी विपक्षी की सरकार होती तो चैनलों पर दिन रात यही चलता। अभी सन्नाटा है।
"नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार अपने माता-पिता का जन्म प्रमाणपत्र दे सकता है? तुम पहले अपने माता-पिता का प्रमाणपत्र दो, तब हमसे मांगो।" "हमारा नाम कट जाएगा तो यहां बूथ पर इलेक्शन होने देंगे...? जो गरीब-गुरिया है वो कहां से देगा? " इन चाचा की बात सुनिए और सोचिए कि देश को किस…
"नरेंद्र मोदी कोई बड़ी प्रॉब्लम नहीं है। ये तो आपने सिर पर चढ़ा रखा है। ये जो मीडिया वाले हैं, इन्होंने इनका गुब्बारा बना रखा है। कोई प्रॉब्लम नहीं है। पूरा शो है, दम नहीं है।" - राहुल गांधी
सरकार का निकम्मापन हमारी नागरिकता का प्रश्न कैसे बन गया? यह मान लें कि देश भर में लाखों घुसपैठिये हैं तो यह तो आपका निकम्मापन है कि आप किसी काम के नहीं हैं। आप हमारी सीमाओं की सुरक्षा नहीं कर पा रहे हैं और देश को खतरे में डाल दिया है। आपके निकम्मेपन की सजा 140 करोड़ लोगों को…
भाजपा कह रही है कि इंदिरा गांधी 4077 दिन प्रधानमंत्री थीं। नरेंद्र मोदी ने आज उनका रिकॉर्ड तोड़ दिया। नरेंद्र मोदी 4000 दिन और रह लें, लेकिन अमेरिका के आगे लेटकर लोटने का रिकॉर्ड मोदी के ही नाम रहेगा। आयरन लेडी इंदिरा ने रिचर्ड निक्सन को पानी पिलाया था। इंदिरा ने पाकिस्तान…

अभी तक कह रहे थे - देश मजबूत हाथों में है अब कह रहे हैं - देश भर में घुसपैठिया भर गए हैं इतने कमजोर हो? 75 साल से सुरक्षित देश की सुरक्षित सीमा तक न संभाल सके? शर्म से चुल्लू भर पानी में.... छोड़िए, आपसे वह भी नहीं होगा!
हमारी हजारों साल की सभ्यता है। हमारी कितनी पीढ़ियां यहां दफन हैं, कोई हिसाब नहीं। अब ये नये आए हैं जो पूछ रहे हैं कि तुम साबित करो कि भारतीय हो। ऐसा तो अंग्रेजों ने भी नहीं किया! मैं तो कहता हूं - चलो निकलो यहां से!
झारखंड में चुनाव के पहले बहुत घुसपैठिये थे। चुनाव खतम, घुसपैठिया खतम। दिल्ली में भी चुनाव के पहले बहुत घुसपैठिये थे। चुनाव खतम, घुसपैठिया खतम। असम में भी चुनाव के पहले बहुत घुसपैठिये थे। चुनाव खतम, मुद्दा खतम। असम में 19 लाख लोगों की छंटनी की थी। उनमें 13 लाख हिंदू थे।…
एक हारा हुआ सस्ता तानाशाह अपने पसंद की जनता चुनना चाह रहा है। SIR देश की जनता के खिलाफ साजिश है। इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।
विपक्ष ने SIR फाड़ कर कूड़ेदान में डाल दिया है। भाजपा SIR के बहाने देश को अराजकता में झोंक रही है। हर नागरिक को इसका विरोध करना चाहिए।
बिहार में चल रहा SIR (Special Intensive Revision) अब पूरे देश में लागू करने की बात की जा रही है। हमारे संविधान निर्माताओं ने हर भारतीय को वोट का अधिकार दिया है। गरीब जनता से उनका वोट का अधिकार छीनना लोकतंत्र को खत्म करने जैसा है। यह स्वीकार्य नहीं है।
पिछले 20 साल में नीतीश और भाजपा की सरकार ने कितने घुसपैठिये पकड़े? बिहार में काम कर रहे हजारों की संख्या में बीएलए और चुनाव अधिकारियों ने कितने घुसपैठिये पकड़े? पिछले 11 साल में अमित शाह की केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों ने देश में कितने घुसपैठिये पकड़े? भाजपा राज में देश की…
लोकसभा में कह रहे थे कि 400 सीटें दे दो संविधान बदल देंगे। अब बिहार में चुनाव से पहले ही संविधान को रौंदा जा रहा है। एसआईआर उस संविधान विरोधी अभियान की ही अगली कड़ी है।
सरकार ने संसद में कहा कि संविधान की प्रस्तावना से धर्मनिरपेक्ष और समाजवाद शब्द नहीं हटाए जाएंगे। असल में संविधान और लोकतंत्र इनके लिए खिलौना है। जैसी सुविधा हो, वैसे खेलते रहते हैं।
चुनाव आयोग ने बिहार में घुसपैठिया खोजना शुरू किया। लेकिन मिला कौन? मृत वोटर, स्थान बदल चुके वोटर, दो जगह नाम वाले वोटर और लापता वोटर। कुल 55 लाख मिल गए जिनके नाम हटेंगे। लेकिन घुसपैठिया एक्को न मिला। आपके मुताबिक, मोदी जी के कुशल नेतृत्व में पूरे बिहार में घुसपैठिया भर गए हैं…
बिहार में चुनाव आयोग ने फरवरी में 52 लाख फर्जी वोटर वाली लिस्ट क्यों प्रकाशित की थी? चुनाव आयोग को SIR की प्रक्रिया पूरी होने के पहले, फॉर्म की स्क्रूटनी के पहले कैसे मालूम चला कि 52 लाख वोटर फर्जी हैं? BLO लोगों को सूचना दिए बगैर खुद ही फॉर्म भर रहे हैं, फर्जी दस्तखत कर रहे…
फरवरी में चुनाव आयोग ने बिहार की फाइनल मतदाता सूची प्रकाशित की थी। अब वही चुनाव आयोग कह रहा है कि लिस्ट में 52 लाख फर्जी हैं। पहले चुनाव आयोग देश को यह बताए कि उसने 52 लाख फर्जी मतदाताओं वाली सूची किस मकसद से प्रकाशित की?