Divya Seth
@divya_sabaa
shayari | photography | chess | cricket | film making (Checkout poetry/photography in Highlights..!)
अब तो नहीं आती कोई आवाज़ कहीं से अब तो नहीं दिल को भी धड़कने की सदा याद -Divya 'sabaa'

raah-e-duniya meN to ye bhi hai maqaam-e-hairat koii do gaam agar saath nibhaa detaa hai -Divya 'sabaa'
Captions please...
तुम अपना चेहरा ख़ुद अपनी निगाह से देखो जो आइना है, अदाकार है, ख़याल रहे -Divya 'sabaa' #shayari #shair #bazm
वो एक अक्स कि पल भर नज़र में ठहरा था तमाम उम्र का अब सिलसिला है मेरे लिए -Rajinder Manchanda Bani
Amir is raaste se jo guzrte hain woh kehte hain, Muhalla hain haseeno ka, ke kazakhon ki basti hain
Beneath moon's allure, #extremes of longing merge in velvet whispers. #10wordspoet 27th July
Saw it.. Liked it.. Clicked it.. #ankush_clicks #ThePhotoHour #StormHour
उड़ियों ना डरियो कर मनमानी मनमानी, मनमानी, बढ़ियों ना मुड़ियों कर नादानी… #ankush_clicks #ThePhotoHour #StormHour
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की नज़्म "मुझसे पहली-सी मोहब्बत मेरे महबूब न मांग" जब नूरजहाँ की आवाज़ में ढली, तो इस नज़्म ने बेपनाह शोहरत पाई और ऐसा लगा मानो नूरजहाँ इसी नज़्म के लिए बनी हों। फ़ैज़ इस क़दर प्रभावित हुए कि उन्होंने नूरजहाँ से कहा – "आज से यह नज़्म मेरी नहीं रही, आपकी हो गई।"…
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिये आ आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिये आ 🦋 ~ अहमद फ़राज़
आहाहा क्या कहने लाज़वाब रब्त की ख़ैर है के तेरी अना बच जाए......!! इस तरह जा के तुझे लौट के आना ना पडे......!!!! उमैर नजमी
हर किसी को तो नहीं हासिल सुकूँ इतवार का कुछ मुसाफ़िर आख़िर-ए-दम तक सफ़र में रहते हैं -Divya 'sabaa'
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तुझको ऐ शब के अँधेरे, ये ख़बर भी है कि तू कितने सोये हुए फ़ित्नों को जगा देता है - Divya 'sabaa' @divya_sabaa
ghazal: हमारी फ़िक्र में नाहक़ न सुब्ह-ओ-शाम करो तुम अपनी राह लगो जाओ अपना काम करो ज़बाँ तराश लो चाहे असीर-ए-दाम* करो तुम्हें ये हक़ है जहाँ चाहे क़त्ल-ए-आम करो जब उनका ज़िक्र फ़साने में आया कहने लगे चलो हटाओ ये क़िस्सा, यहीं तमाम करो न इसपे जाओ कि आई ख़िज़ाँ बनाम-ए-बहार ये…
uThtaa hai KHāmushī meiñ yahāñ shor baar baar ik harf bol kar kabhī aaraam do mujhe उठता है ख़ामुशी में यहाँ शोर बार बार इक हर्फ़ बोल कर कभी आराम दो मुझे اُٹھتا ہے خامُشی میں یہاں شور بار بار اِک حرف بول کر کبھی آرام دو مُجھے ~ Virat/विराट/وراٹ