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@_Harsingar
सेक्युलर की एक्स
सब कुछ होने के बाद भी ये खालीपन..कितनी ही अनकही बातों की गठरी..अब मौन हो चुकी.. वेदना कभी कभी आत्मा तक में चुभने लगती है..दर्द आंखों से रिसने लगता है.. तुम...तुम बहुत याद आती हो मां...🥺😔
मैं--मुझसे ये पढ़ रही हूं.. वो पढ़ रही हूं.. अहा कितना अच्छा लगा पढ़ने में... कपार... समय पर ढंग से पढ़ाई कर लेती तो कहीं कलेक्टर बनी रहती..
मैं सो रहा हूँ तिरे ख्वाब देखने के लिए खुदा करे मिरी आंखों में रात रह जाए...❤️🌼 शकील आजमी..
ये कोरी तस्वीर है... इसका यथार्थ से कोई सम्बंध नहीं... अलमारी खोलने पर जब तक कपड़े पैरों पर गिर के प्रणाम न कहें तबतक वो स्त्री की अलमारी नहीं हो सकती....
किसकी अलमारी है ये...? 🪻ख़्वाबों वाली लगती है... 🪻तहों में उम्मीदें हैं... 🪻और हैंगर पे मुस्कानें टंगी हैं... 🪻@shradhasumanrai
जिंदगी हो या जिंदगी में मिलने वाली सहूलियतें सब की कीमत चुकानी ही पड़ती है.. खैर...
जब तुम्हें अकेले में याद मेरी आएगी.. आंसुओं के बारिश में तुम भी भीग जाओगे.. तुम तो ठहरे परदेशी...साथ क्या निभाओगे सुबह पहली गाड़ी से.. घर को लौट जाओगे.. हुर्र हुर्र....
शब्द झरे फूल से मीत चुभे शूल से झर गए सिंगार सभी बाग के बबूल से और हम खड़े खड़े नयन नीर से भरे वक्त के चढ़ाव का उतार देखते रहे कारवां गुज़र गया गुबार देखते रहे हुर्र हुर्र
प्रेम बिझोह सब समझते हैं....सनम तेरी कसम कितनी बार देखा याद नहीं पर उतनी बार रोई हूँ..इमोशन दिखाना खराब नहीं है... बात ये है कि थियेटर में इतना खतरनाक ड्रामा.....खैर प्रेम को देखने समझने का सबका अपना नजरिया होता है...❤️🌼