Nikunj Sharma
@Stockmarketmonk
Poet, dreamer, wanderer.
मेरे पल पल की ख़बर रखता है एक आईना मुझ पे नज़र रखता है रात की महफ़िल में तमाशा देखो एक जुगनू सितारों सा असर रखता है उसके तूफ़ान की मैं क्या बात कहूँ हर ज़िद में चिराग़ों की फ़िकर रखता है ~निकुंज @Billion478

दीवानगी में हमारी ऐसे भी दिन आयेंगे फूल के बदले में हम,जख्म ले के जाएँगे महफ़िलें आबाद होंगी आशिक़ी की शान में दिल हथेली पे लिए जब दिलजले आ जायेंगे क्या पता है रात का कितनी कटी कितनी रही चार जुगनूँ बाम पर यूहीं फ़ना हो जायेंगे ~निकुंज #शायरी #यूहीं_शायरी

एक लंबा सा जीवन है और छोटे छोटे पाँव है आशाओं के बसे शहर हैं और सपनों के कुछ गाँव हैं धूप छाँव से पटे हुए हैं रात और दिन के गलियारे सुख दुख की चादर फैलाये बैठे हैं इंसा सारे समय चक्र चलता रहता है नये नये मेले जुड़ते है नाज़ुक पंखों पर रोज़ परिन्दे खुले आसमां में उड़ते हैं
शहद तेरे लफ़्ज़ों का मेरी शायरी हुआ अब बता दे महफ़िल कहाँ है रात भर निकुंज #यूहीं_शायरी
हसीन शहर है कोई भी खो सकता है हादसे का क्या कभी भी हो सकता है बे मौसम की बरसात की क्या कहें कोई बादल बे वजह भी रो सकता है रास्ता टूटा, शहर खंडहर हुआ तो क्या थका मुसाफ़िर कहीं भी सो सकता है निकुंज #यूहीं_शायरी

इस गुलदान को मेरी मेज़ का बताते हो तुम ही हो जो मुझे हर रात को जगाते हो वो कोई और है जो उस पार से आया है तुम तो सभी को इस पार का बताते हो वो अच्छा था कि ज़ख्म दे के लौट गया तुम तो मरहम लगा के भी सताते हो निकुंज #यूहीं_शायरी
निगाह फेर ली उसने ही वक़्त पर वरना, मैं उन चराग़ सी आँखों में जलने वाला था #कुलदीप_कुमार
लफ़्ज़ों के कांधों पे मतलब का बोझा मेरी शायरी में ये भी एक मुक़ा था #यूहीं_शायरी
फिर से तेरी याद की बरसात जारी है आज फिर चाँद पे एक जुगनू भारी है निकुंज #यूहीं_शायरी
हर मौसम में तेरे ही गुल खिलते हैं मैंने कई बार दिल बदल के देखा है ~निकुंज #इश्क़ #मोहब्बत
कभी तो ढूँढ सच को बयान में तू खो गया है किसी बियाबान में हज़ार कीलें लगी है इस दीवार पे एक तस्वीर भी नहीं है तेरे मकान में तू आवारगी से पूछ के देख ले कोई हम सा है किसी खानदान में ~निकुंज

तेरी बारिश में भीगे हैं तन भी और मन भी बदला है कण कण मेरा बदला रूह का मौसम भी ~निकुंज
कितना बे निशां हूँ ख़ुद की तलाश में सेहरा में चल रहा हूँ पानी की आस में ~निकुंज #यूहीं_शायरी

A tree talks in photosynthetic syllables, Writing a swaying poem along the wind’s whims. It flings raindrops filling puddles with oceanic whispers as season finds her feet under the spiritual table. #vss365
अब के मिलने की शर्त ये होगी दोनों घड़ियां उतार फैकेंगे नसीर अमोरहवी
वो दिल फेंकता है किसी पे मरता है वो तो सिर्फ़ अपना काम करता है इतना तेज कदम है वो चलने वाला उसके लिए तो तूफ़ान भी ठहरता है इतनी सौदेबाज़ी में उलझी है दुनिया के हर शख़्स अब आईने से डरता है मैं रात भर दिया जला के बैठूँगा देखें चाँद ज़मीं पे कब उतरता है निकुंज #शायरी
बात तेरी निकली मेरे मुस्कुराने के लिए मौसम बदल गया इस दीवाने के लिए ~निकुंज
तेरे मयखाने अब वो बात कहाँ अब वो जुगनू वाली रात कहाँ लोग पीते हैं संभल जाते हैं लड़खड़ाने वाले जज़्बात कहाँ ~निकुंज
तुम्हारी याद की जादूगरी है बदन में रौशनी बिखरी हुई है उसी के हिज्र के क़िस्से सुनाओ उसी के ग़म में थोड़ी ताज़गी है उसी से प्यास का शिकवा करेंगे उसी की आँख में थोड़ी नमी है Iqra Ambar #shair #Sher #Sheroftheday
मैं भी तमाशा कर रहा हूँ तेरी ही तरह गुलाबी होंठ, ये दिल, सब किराये के हैं निकुंज