Santosh Yadav, Ph.D.
@sky_phd
Senior Scientist, जौनपुरी, बनारसी, इलाहाबादी, खेती किसानी, राजनीति और ज्ञान विज्ञान!
"Injustice anywhere is a threat to justice everywhere" ~ Martin Luther King Jr
भारतीय समाज में जितना गहराई से नस्लभेद और जातिवाद व्याप्त है, वैसा उदाहरण दुनिया के बहुत कम हिस्सों में देखने को मिलता है। दुर्भाग्यवश, विदेशों में बसे एनआरआई भी कई बार इसी मानसिकता के साथ अपमानजनक शब्दों का प्रयोग करते हैं।

लेख बताता है कि मोदी सरकार चाइना के सामने रणनीतिक रूप से विफल रही है। भारत की विदेश नीति, आंतरिक कमजोरी और सीमित वैश्विक सहयोग के कारण, अब वह चीन की शर्तों पर ही रिश्ते चला रहा है और यह स्थिति भारत की संप्रभुता और दीर्घकालिक सुरक्षा के लिए चिंताजनक है।

मैं व्यक्तिगत रूप से ऐसे कई योग्य उम्मीदवारों को जानता हूँ, जिन्होंने विश्व के प्रतिष्ठित विदेशी संस्थानों से पीएचडी और पोस्टडॉक किया है। उनका शोध-प्रकाशन कार्य उच्च कोटि का है- प्रमुख अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स में उनके लेख प्रकाशित हैं, हज़ारों साइटेशन हैं, और वे सभी शैक्षणिक एवं…

सब बराबर हैं, कोई किसी से श्रेष्ठ नहीं है। ‘यूजेनिक्स’ (Eugenics) की कपोल-कल्पना तो बीसवीं शताब्दी में ही पूरी तरह एक्सपोज़ हो चुकी थी।
इन डॉक्टरों की डिग्री की जाँच होनी चाहिए। अगर इन्होंने वाक़ई मेडिकल की पढ़ाई की है, तो यह देश के लिए गंभीर चिंता का विषय है।
बड़े पैमाने पर लोगों को वोट के अधिकार से वंचित किया जा रहा है। ये प्रक्रिया बिहार के बाद पूरे देश में चलेगी।

देश में आम आदमी और उनके परिजनों के जान की कोई क़ीमत नहीं है। हर त्रासदी एक सामान्य घटना बन चुकी है। न कोई ज़िम्मेदारी तय होती है, न कोई जवाबदेही। कल कोई और हादसा होगा, और लोग इस हादसे को भी भुला देंगे। यही सरकार और सिस्टम का रैवाया बन चुका है।🙁
केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर के खाली पद। - ST के 83% - OBC के 80% - SC के 64% एसोसिएट प्रोफेसर - ST के 65% - OBC के 69% - SC के 51% NFS (Not Found Suitable) का खेल जारी है। दुनिया के टॉप 200 संस्थानों में भारत का एक भी संस्थान नहीं हैं।
सरकारी पोषण ट्रैकर के अनुसार, भारत में 5 साल से कम उम्र के 37% बच्चे “ठिगनेपन” (Stunting) से पीड़ित हैं -यानी उनका शारीरिक विकास उम्र के अनुसार नहीं हो रहा। जो लंबे समय से कुपोषण का संकेत है। 📉 इसके अलावा: •16% बच्चे कम वज़न वाले हैं •5.5% बच्चे गंभीर कुपोषण (Wasting) से जूझ…
इस पर कहीं कोई बहस नहीं होती! संसद में सरकार ने 5 साल से कम उम्र के कुपोषित बच्चों का डेटा दिया है. राज्यों में उम्र के हिसाब से कम लंबाई वाले बच्चों की सबसे ज्यादा संख्या उत्तर प्रदेश में है. यूपी में करीब 49% बच्चों की लंबाई कम है. इसके बाद झारखंड, असम, बिहार और मध्य प्रदेश…
उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की हालत बेहद ख़राब है।🙁
चाइना ने 2021 में घोषणा की थी कि वह हर साल अपने रिसर्च और डेवलपमेंट (R&D) खर्च में लगभग 7% की बढ़ोतरी करेगा, लेकिन उसने अनुमान से कहीं अधिक, हर साल औसतन 8.7% की वृद्धि की। पिछले पाँच वर्षों में उसके R&D बजट में कुल मिलाकर करीब 45% की वृद्धि हुई है।

लोकचंद्र तो सही से लिखना चाहिये।
इनके अनुसार 'लोकतंत् र’ खतरे में है...🤦🏻♂️
एक तरफ़ बड़े उद्योगपतियों को हजारों करोड़ रुपये का टैक्स इंसेंटिव दिया जा रहा है, और दूसरी तरफ़ यूपीआई इस्तेमाल करने वाले छोटे दुकानदारों को टैक्स कलेक्शन के नाम पर परेशान किया जा रहा है।
