Tom Sawyer
@setwickkk
Jolly and flamboyant boy
कप्तान विक्रम बत्रा और कारगिल के अन्य शहीदों पर लिखी मेरी लिखी कविता को ये व्यक्ति एक सार्वजनिक मंच पर पढ़ आया ! मेरी कविता चोरी कर लोगे लेकिन मेरे भाव कैसे चोरी करोगे ! “रक्त देकर जिन पहाड़ों को बचाया है इन्होंने”
भगवान ने जो विकल्प दुर्योधन और अर्जुन के समक्ष रखे थे वही चुनाव हमें भी करना होता है। एक ओर संसार को जीतने की मनोकामना हमारी होती है, चाहो तो नारायणी सेना रूपी सामर्थ्य माँग लो और चाहो तो बस नारायण को ताकि धार्मिक सदगति प्राप्त हो। चुनाव सदैव हमारा होता है, विकल्प सदा खुले हैं।
तुलसी’ कबहुँ न त्यागिए, अपने कुल की रीति। लायक ही सों कीजिए, ब्याह, बैर अरु प्रीति॥
कानपुर की घातक कथाएं।
मैं ई रिक्शे से घंटाघर जा रहा था ! झकरकटी के पास एक कार ने ओवरटेक करते समय एक बाइक वाले को गिरा दिया ! मेरे बगल में बैठी लड़की चिल्लायी ए जी बचाओ उसे ! मैं एकदम से उठा और उसकी बाइक उठायी उसे खड़ा किया ! उसका पैर बाइक के नीचे दब गया था ! ये करके वापस रिक्शे में आया !
राम एवं कृष्ण सौम्य रूप हैं, इनकी पूजा सरल है। नृसिंह भगवान की पूजा तन्त्र में होती है, विशेष विधान है, रूप वीर है - गड़बड़ नहीं सही जाएगी। इस कारण भी लोग सौम्य अवतारों की अधिक पूजा करते हैं।
पुरुष ने जब पैसा कमाया तो दोस्तों पर उड़ाया, महिला ने जब पैसा कमाया तो बच्चों की शिक्षा पर खर्च किया !
घृणा से ही घृणा पनपती है, यदि कोई किसी के विरुद्ध सार्वजनिक रूप से अकारण ही घृणा व्यक्त कर रहा है तो समझ लीजिए उसके निजी जीवन में इस घृणा का मूल बीज छिपा है। कहीं कुछ ऐसा हुआ होगा जो इस घृणा को बल देता रहा, इसका पोषण करता था। अतः ऐसे लोगों से सहानुभूति रखें, भगवान सद्बुद्धि दे।
वृत्तं यत्नेन संरक्षेत् वित्तमेति च याति च। अक्षीणो वित्ततः क्षीणो वृत्ततस्तु हतो हतः। चरित्र की यत्नपूर्वक रक्षा करनी चाहिए, धन तो आता-जाता रहता है। धन के नष्ट होने पर भी चरित्र सुरक्षित रहता है, लेकिन चरित्र नष्ट होने पर सब कुछ नष्ट हो जाता है।
नैतिकता एवं विनम्रता के लिए जो बातें सिखाई जाती हैं वे हमारे स्वयं के लिए हैं लेकिन कई बार वही बातें हमें ऐसे आदर्शों में फँसा देती हैं कि फिर हम छोटी बातें भी सह नहीं पाते। हमारी अच्छाई हमारी सहायक होनी चाहिए बाधक नहीं, स्वयं आगे जाना है तो लचीले हो, कड़क नहीं - वरना टूटोगे!!
माता-पिता एवं गुरु की महिमा है अवश्य किन्तु इसकी आड़ लेकर वे लोग भी पुजते हैं जो अपने दायित्वों के निर्वहन में असफल ही रहे हैं। मनुष्य को ईश्वर के समकक्ष रखना इसलिए अनुचित हो जाता है क्योंकि फिर उनके द्वारा की गई छोटी मोटी गलती भी बड़ी जान पड़ती है, अक्षम्य प्रतीत होती है।
बेटी का फ़ोन आया बोली "पापा युवन (7) को 2 min की देश-भक्ति की कोई रचना स्कूल में सुनानी हे तुम suggest करो? हम बोले वोही कविता रटा दो, जो मैंने पांचवी में तुम्हे रटाई थी, सुभद्राजी की ~"सिंघासन हिल उठे, राजवंशो ने भृकुटि तानी थी, बूढ़े भारत में भी आयी, फिर से नयी जवानी थी..." 🙏
सरकार का विरोध करते करते लोग धर्म का विरोध क्यों करने लगते हैं ??
माता-पिता एवं गुरु की महिमा है अवश्य किन्तु इसकी आड़ लेकर वे लोग भी पुजते हैं जो अपने दायित्वों के निर्वहन में असफल ही रहे हैं। मनुष्य को ईश्वर के समकक्ष रखना इसलिए अनुचित हो जाता है क्योंकि फिर उनके द्वारा की गई छोटी मोटी गलती भी बड़ी जान पड़ती है, अक्षम्य प्रतीत होती है।
🤣🤣🤣🤣🤣
बोला भैया बिहार में हर साल बाढ़ आता है, आप कभी कानपुर में बाढ़ देखे हैं ? मैंने तो अपने पूरे जीवन में कभी कानपुर में बाढ़ नहीं देखी ! हमने क्या हमारे दादा परदादा किसी ने कानपुर में बाढ़ नहीं देखी! कानपुर के नेताओं ने कीच किया हो या न किया हो लेकिन कानपुर में कभी बाढ़ नहीं आने दी