Saurabh
@sauravyadav1133
सौ गुलाबों के बीच से भी मैं हाथ में उठा लेता हूं पीले कनेर के फूल...
अक्सर मेरे शुभचिंतक कहते हैं - क्यों लिखते रहते हो,तुम्हारे लिखने से सच में कुछ बदलेगा?अब तक कितने लोग बदले? उन सबसे बस यही कहता हूं कि - मैं सिर्फ़ ख़ुद के लिए लिखता हूँ...कुछ बदले ना बदले..लेकिन जिन बातों में,मेरा यक़ीन है वो ना बदले इसलिए लिखता हूं....🙏 #SaturdayMotivation
आजतक पर दो खबरें चल रही हैं पहली कि सर्वदलीय बैठक हुई है जिसमें सोमवार से संसद को सुचारू रूप से चलाने पर सहमति बनी है और दूसरी ये कि केंद्र सरकार कह रही है कि संसद में SIR पर चर्चा नहीं होगी.... ये कैसे हो सकता है विपक्ष इस पर कैसे मान सकता है और इस मुद्दे पर चर्चा नहीं होगी तो…
कितना भयावह है मलबे के ढेर से अपने बच्चों को खोजना और इस उम्मीद के साथ खोजना कि कैसे भी मेरा बच्चा जिंदा निकल आए... इस हादसे में 7 बच्चों की जान चली गई जबकि उनकी कोई गलती नहीं थी।
सर बैंक में कुछ फ्रॉड हुआ है तो आप सिर्फ 1 हजार रुपये ही निकाल सकते हैं। प्रकाश राज - मेरी वाइफ हॉस्पिटल में एडमिट है मुझे पैसे की जरूरत है और मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि मैं अपना ही पैसा बैंक से ले क्यों नहीं पा रहा हूं❓ बैंक मैनेजर - सर मैं आपको समझाता हूं...हुआ ये कि इस बैंक…

अमित मालवीय ने कल लोकतंत्र की स्पेलिंग गलत कहकर एक ट्वीट किया उसके बाद सरकार की गोदी में बैठे वरिष्ठ कनिष्ठ सब पत्रकारों ने और पढ़े-लिखे बीजेपी के बड़े नेताओं ने बिना सोचे-समझे वही ट्वीट करना शुरू कर दिया... क्या इन लोगों की खुद का कोई स्वाभिमान नहीं है जो अमित मालवीय लिखकर देंगे…




घर के सामने 2-2 फीट सीवर का पानी खड़ा हो जाता है...कोई गाड़ी निकलती है तो पानी घर के अंदर आ जाता है। मैं तो पक्की बीजेपी भक्त हूं लेकिन अब समझ नहीं आ रहा कि मैंने सही फैसला किया था या गलत किया था। अब इन लोगों पर तरस आता है...
बेटा दिए तो जा सकते हैं और नेता देने पर मजबूर भी हो सकते हैं लेकिन क्या करें आप बच्चों के पापा लोगों को पहले धर्म बचाना है...इसलिए वो ऐसी सरकारें चुन रहे हैं।
जब जर्मनी में हिटलर का उदय हुआ और हर तरफ नफरत और कट्टरता बढ़ती गई तो अल्बर्ट आइंसटीन ओपेन हाइमर जैसे कई बड़े साइंटिस्ट जर्मनी छोड़कर भागने लगे क्योंकि तानाशाही का सबसे पहला हमला "आजाद सोच" पर ही होता है। इन्हें पता था कि अब जर्मनी में इनके लिए कोई जगह नहीं है। सोचिए अगर जर्मनी के…

मेरे आसपास के कई लोग अक्सर ये शिकायत करते हैं कि तुम घरेलू काम करते हुए इतना गाते क्यों हो ? उसकी फोटो सोशल मीडिया पर क्यों डालते हो ? चुपचाप क्यों नहीं कर लेते ? इसके पीछे वजह ये है कि हम उस समाज में रहते हैं जहां पितृसत्ता हावी है...घरेलू काम करना शारीरिक रूप से कोई बहुत बड़ा…

"एक्टर जन्म लेता और स्टार आप बनाते हो" स्टार बनने के पैसे लगते हैं वो रास्ता नहीं था मेरे पास... इसलिए मेरे जो फैन्स मेरे पास आते हैं वो आकर शर्ट नहीं फाड़ते एकदम सम्मान से बात करते हैं और बाकायदा फिल्मों और सीन की बात करते हैं। इससे खुशी मिलती है...
सैयारा देखते हुए ज्यादातर वीडियो पीआर के लिए ही बनाए गए हैं।लेकिन जो लोग सच में रो रहे हैं...मतलब वो लोग संवेदनशील लोग हैं। इन लोगों से मेरा एक सवाल है❓ कि क्या ये लोग अपने आस-पास गलत होता देखकर भावुक होते हैं❓ जब लोगों के घरों पर बुल्डोजर चलाया जाता है उनके बच्चे बिलखते हैं तब…

चित्रा त्रिपाठी महिला कार्ड क्यों खेल रही हैं...ऐसा तो आलोक शर्मा ने कुछ नहीं कहा❓
लोकतंत्र की ग्रामर चेक करने वालों को ये सुनना चाहिए - सवाल था - कौन सी पार्टी आपको अच्छी लगती है❓ टीचर का जवाब - आंदोलनों के मुद्दे पर कांग्रेस अच्छी लगती है...हमने 2012 में कांग्रेस सरकार के खिलाफ आंदोलन किया था और हमारे प्रोटेस्ट में खुद राहुल गांधी आ गए थे। हमने ऐसे ट्विटर…
लगता है अमित मालवीय और बीजेपी के नेता चाहते हैं कि पब्लिक के सामने ये वाला वीडियो आना चाहिए...
रिपोर्टर - आपकी प्रधानमंत्री से मुलाकात हुई❓ महिला - नहीं, दर्शन हुआ...दर्शन हुआ देश के लोगों को क्या समझ रखा है कि उन्हें कुछ समझ नहीं आता❓ या सच में ही समझ नहीं आता...
इनकी बात सुनकर मैं भावुक हो गया . दस सालों में कहां आ गए हम ?
मुजफ्फरनगर के एक गांव में रहने वाले मुकर्रम अली कहते हैं कि- जब से पैदा हुए तब से देख रहे हैं कांवड़ को...पहले हमारे गांव के जितने भी घेर थे गैलरी थी सब अपने किबाड़ खोल दिया करते थे....सब कांवड़िये यहीं आराम किया करते थे यहीं पानी पिया करते थे सोते थे और फिर आगे चल पड़ते थे। पूरे…
ये सड़क से कचरा उठाते, गाड़ी खींचते बुजुर्ग...88 साल के रिटायर्ड IPS अफसर इंदरजीत सिंह सिद्धू हैं। जो अपने शहर चंडीगढ़ को साफ-सुथरा बनाना चाहते हैं इसलिए सुबह उठकर सफाई में लग जाते हैं। इनके जज्बे को सैल्यूट है🖖 लेकिन आपके मन में कुछ सवाल भी आने चाहिए...
ख़बर है कि मुंबई में अनिल अंबानी की कंपनियों पर ED के छापे चल रहे हैं...ये सिर्फ उदाहरण सेट करने के लिए है या कोई और बात है❓
इन बुजुर्ग को बार-बार सुना और सुनते हुए इनके चेहरे के भाव पर गौर किया ये पुराने टाइम के बारे में बताते हुए खुशी से भरे थे और अब के माहौल का जिक्र करते हुए अफसोस से भरे...इन्हें सुनकर मन अफसोस से भर गया कहां थे हम और कहां ले जाया जा रहा है हमें...
मुजफ्फरनगर के एक गांव में रहने वाले मुकर्रम अली कहते हैं कि- जब से पैदा हुए तब से देख रहे हैं कांवड़ को...पहले हमारे गांव के जितने भी घेर थे गैलरी थी सब अपने किबाड़ खोल दिया करते थे....सब कांवड़िये यहीं आराम किया करते थे यहीं पानी पिया करते थे सोते थे और फिर आगे चल पड़ते थे। पूरे…