निशा (निराली)
@nishachauha
कमियाँ ढूंढोगे तो मिल ही जाएगी जनाब... रब के बन्दे हैं...रब तो नहीं... Don't Judge A Profile By It's Followers !
क्या करोगे सुन के दास्तान मेरी... रूठी रातों का कटा हुआ कहकहा हूं मैं...

सुलझी हुई सी किताब समझते है लोग मुझे... कोई जानता नहीं की उलझा हुआ सा मुझ में कोई और भी है...

कभी तो पढ़ के बताओ हमें दोस्तों... हम दिल तक भी पहुँचे हैं कि नहीं...

#सुनो जिद्दी चींटीयों सा चिपका है मन... तेरी यादों की मीठी चाशनी से...

जब मन भारी हो आंखे नम हो... शिकायतें ना हो उसे कहते हैं सब्र...

#उफ्फ... ये सावन की ठंडी फुहारें और यादे तेरी... एक कप चाय और बस तन्हाई मेरी...

ख्वाब और हकीकत में बस इतना ही फासला होता है... एक में जीने की हसरत है एक को जीना पड़ता है...

वही शाम-ऐ गम का आलम वही तरसती निगाहें... बड़ी हसरत से देखते है हम तेरी वापसी की राहें...

तुम मेरी सोचों मे रहते हो... मेरे चश्म-ए-नम मे बहते हो... #निशा
तुमने देखा है सिर्फ आँखों को... तुमने आँखों में कहाँ देखा है...

ना वो साग़र था...ना ही दरिया... बिना बात ही उसमे डूबी जा रही थी मैं...
अधूरी मोहब्बत गुनाह थोड़ी है साहब... जाम आधा हो तो भी नशा पूरा कर देता है...
महफिल वो नही,जहाँ चेहरों की तादाद हो... महफिल तो वो है,जहाँ खयाल आबाद हो...
मैं देखती रही उसे अपने प्यासे होंठों से... मगर वो बादल किसी और पे बरस कर चले गये...