हरिशंकर परसाई
@harish_parsai
Unfiltered opinions | Politics | Philosophy | Sarcasm | A little poetry, a lot of truth | Writing like Parsai, but it’s all mine.
नाम:सत्यव्रत(रमाकांत का दोस्त) शौक: लड़कियों को DM में गिफ्ट का झांसा देना(खुद के रात के खाने का पता नहीं) काम: नौकरी और भविष्य बताने के बहाने प्राइवेट डीटेल्स लूटना स्पेशल स्किल:भरोसा दिलाएगा कि आपको लगेगा यह भगवान का दूत है,और बाद में भगवान से ही दुआ करनी पड़ेगी कि पीछा छूटे



त्रिपाठी के लड़कियों से डीएम में बत्तीमीजी के, क्लब हाउस पर अश्लीलता के, पैसे ठगने के स्क्रीनशॉट ट्विटर पर तैर रहे हैं,फिर भी किसी को शक हो तो अपनी आंख में रेत डाल ले, इसके अलावा ये कह चुका है कि इसकी मां,बहन,मामी इतनी गोरी हैं कि चुटकी काटने का मन करता है,ये इसका मानसिक स्तर है।

वो कुर्ता जो तुमने कभी खरीदा था —पर कभी पहना नहीं।कभी लगा, रंग ज़्यादा है। कभी फैशन में नहीं।कभी लगा, मैं इसे जंचूंगा नहीं।स्वयं से प्रेम वो दिन है —जब बिना सोचे, बस मौसम देखकर तुम वही कुर्ता पहन लेते हो —और खुद को अच्छा लगने लगते हो।
दुख एक लंबी रात है — ठंडी और निस्तब्ध, जिसकी गोद में सुख का सूरज पलता है। वो मिट्टी है, जिसमें सुख का फूल खिलता है; बिना दुख के सुख की खुशबू अधूरी लगती है। पीड़ा आत्मा को झकझोरती है, और फिर उसी के बाद शांति की बयार चलती है। सुख, तभी तक सुख है, जब वो दुख के बाद आता है।
आज वो दिन है जब हम एक लड़की को याद करते हैं,जिसे बचपन में ब्याह दिया गया,जवानी में नोचा गया।वो कोई रॉबिन हुड नहीं थी, न ही कोई आदर्श वो बस उस समाज के लिए एक चेतावनी थी—जिसने औरत को सिर्फ़ देह माना और दलित को पैरों की धूल।फूलन हर उस लड़की की आवाज है जिसकी "न" का सम्मान नहीं होता।

जो छोड़ी न जा सके हमसे, हमने ऐसी चाय की लत पाली है...

हर दिन एक नाव है, जो हमारे द्वार पर आती है —समय की नाव, जो हमें हमारे सपनों के किनारे तक ले जा सकती है। पर हम छत पर खड़े होकर बहानों और टालमटोल की बारिश में भीगते रहते हैं। “कल चले जाएंगे”, “आज तो हवा नहीं है”। एक दिन वो नाव आना बंद कर देती है, और हमारे पास बचता है सिर्फ पछतावा।
जिस दौर में सब लड़ रहे हैं,Anime वाले K-drama वालों से,सास बहू से, मराठी वाले हिंदी वालों से, शाकाहारी Eggetarian से, बॉस एम्प्लॉई से, आस्तिक नास्तिक से, iPhone वाले Android वालों से, ऐसे युद्धकालीन समय में,मेरी एक देशहितकारी, चायपंथी सलाह है "हमें एक कदम चाय की ओर बढ़ाना चाहिए"

ज्ञान और अनुभव, दोनों ही जीवन-निर्माण के आधार हैं,पर अनुभव ज्ञान से दो कदम आगे ही रहता है ससुराल में चाय फीकी हो जाने पर ज्ञान फुदकता है "यह बायो-थर्मल मिसमैच है, मैं एक yt लिंक भेजता हूँ – परफेक्ट चाय इन 3 स्टेप्स!" वहीं अनुभव जानता है कि चाय से ज्यादा ज़रूरी रिश्ते की मिठास है।
रंग केवल देखने भर की चीज़ नहीं होते, वे भावनाओं के सबसे सुंदर दूत होते हैं।नीला आसमान सुकून देता, लाल गुलाब दिल धड़काता, पीला सूरज नई सुबह लेकर आता है। रंग हमारी ज़िंदगी को सजाते हैं, हर रंग में छुपा होता है एक एहसास और कहानी।कभी काला रंग आए तो भी घबराना मत चांद उसी में चमकता है।
देश में लाखों सपने रोज एक ही परीक्षा के मैदान में उतरते हैं।घरों से दूर कितने लोग लाइब्रेरी की दीवारों के बीच साँस लेना सीखते हैं।बिगडते भाग्य के बीच बस एक उम्मीद—कि इस बार हो जाएगा।लेकिन फिर एक PDF आती है.. उसमें नाम नहीं होता।पर ये कपडे झाड़कर दोबारा मंजिल की तरफ थाप मारते हैं।
हासिल कर लिया जाएगा जो हमें चाहिए, हमें ये मत बताओ कि जंगल में सांप है। ~~अज्ञात
शंका मन की सबसे खतरनाक आग होती है, जो धीरे-धीरे आत्मविश्वास को राख कर देती है।जिस काम में दिल था, उसमें सवाल पैदा होने लगते हैं।सपनों की उड़ान से पहले ही ‘क्या ये सही है?’ जैसे सवाल पर काट लग जाती है।शंका पतन की पहली सीढ़ी है। इसलिए शंका को जवाब नहीं, अलविदा दो — और आगे बढ़ो।
स्वास्थ्य सबसे बड़ा गहना है, जो आपने पहना है,इसका बोहोत ख्याल रखिए।क्योंकि एक दिन जब आप थक जाएँगे, रुक जाएँगे, तब ये दुनिया नहीं रुकेगी – लेकिन आपसे जुड़े कुछ दिल ज़रूर टूट जाएँगे।पानी समय पर पी लीजिए, साँसें गिनिए, आसमान देखिए, और हर रोज़ खुद से इतना कहिए – "मैं मायने रखता हूँ।"
आगाह अपनी मौत से कोई बशर नहीं सामान सौ बरस का है पल की ख़बर नहीं ~~हैरत इलाहाबादी ॐ शांति🌻

चांद के बारे में कितनी कल्पनाएं हैं, कोई कहता ये ब्रह्मा की कल्पना से छूटा हुआ एक अधूरा स्वप्न है, कोई कहता है ये देवताओं की गोल थाली है,किसी के लिए प्रेमिका की पलक में छिपा आंसू, पर मुझे लगता है कि ये रात्रि नाम की दुल्हन का मांगटिका भी हो सकता है।
ज़िंदगी किसी मेले की तरह है —रंग बहुत हैं, रास्ते बहुत हैं, पर हाथ में सिर्फ़ एक टिकट होता है।तुम चाहो तो झूला झूल लो, पर फिर जलेबी छूट जाएगी।तुम चाहो तो तमाशा देख लो, पर फिर बांसुरी की धुन खो जाएगी।यह जीवन ऐसे ही है —हर मोड़ पर चुनाव, हर चुनाव के पीछे एक छूटा हुआ सपना।
जीवन का उद्देश्य कोई पांडुलिपि नहीं,जो जन्म के साथ हाथ में थमा दी जाए।वो तो एक बीज है,जिसे हर रोज़ अपने भीतर बोना होता है—सपनों की धूप में, संघर्ष की छाँव में।कुछ लोग जीवन का उद्देश्य ढूंढने पर्वतों तक चले जाते हैं,तो कुछ लोग अपने घर के आंगन में ही जीवन का उद्देश्य गढ़ लेते हैं।
सूत्र और अफवाह में उतना ही फर्क है जितना 'बाइट' और 'भौंक' में होता है — आवाज़ अलग होती है पर असर एक जैसा।कभी जो अफवाहें पनघट पर लावारिस घूमती थीं, उन्हें थोड़ी लाली लिपस्टिक लगाकर सूत्र का रूप देकर सामाजिक सम्मान प्रदान किया गया।
जैसे ही नींद की परी पलकों पर उतरती है, सब बदल जाता है। कोई तारों का झूला झूलता है, कोई बादलों की नाव में सैर करता है। कहीं बचपन की साँझ मिलती है, कहीं बिछड़े चेहरे लौट आते हैं। उड़ती किताबें, रंग बदलती तितलियाँ, सब कुछ जादू-सा लगता है। नींद हर रात हमें सबसे सुंदर जगह ले जाती है।