सुरेश पंत sureshpant
@drsureshpant
भाषाप्रेमी; हिंदी-संस्कृत से विशेष लगाव; व्याकरण, शब्दव्युत्पत्ति में रुचि। https://amzn.eu/d/g5MWRvW https://amzn.eu/d/49B8SMO
कथेतर साहित्य वर्ग में "शब्दों के साथ-साथ" के लिए एक लाख रुपए के पुरस्कार से सम्मानित करते हुए वैली ऑफ वर्ड्स के अध्यक्ष संजीव चोपड़ा। @vowlitfest @penguinrandom

कहते हैं इस श्लोक के नियमित दोहराव से जीभ का व्यायाम होता है और हकलाना जैसे वाणी विकार ठीक होते हैं, (यह दावा प्रमाण पुष्ट नहीं है)।
मुँह और जीभ के व्यायाम के लिए संस्कृत के इस श्लोक को पढ़ने का अभ्यास कीजिए। पूरे श्लोक में केवल एक स्वर ""उ" का ही प्रयोग हुआ है। उरुगुं द्युगुरुं युत्सु चुकुशुस्तुष्टुवुः पुरु । लुलुभुः पुपुषुर्मुत्सु मुमुहुर्नु मुहुर्मुहुः ॥ #भोज #सरस्वती_कंठाभरणम् ( रचना 11वीं सदी )
आद्यक्षरी और परिवर्णी शब्द दोनों की रचना किसी पद या वाक्य के शब्दों के आदि अक्षरों को लेकर होती है। अंतर केवल इतना है कि आद्यक्षरों के समूह से यदि स्वतंत्र शब्द बन रहा हो तो उसे परिवर्णी शब्द कहेंगे और यदि आद्यक्षर समूह को वैसे ही कहा जा रहा हो तो आद्यक्षरी। जैसे– नोएडा (NOIDA)–…
भिडू और फट्टू 'भिडू' और 'फट्टू' मुंबइया हिंदी में बोलचाल के (स्लैंग) शब्द हैं। इन्हें मराठी शब्द माना जाता है, किंतु इनका मूल हिंदी में संभव है। हिंदी में क्रिया के साथ /-ऊ/ प्रत्यय जोड़कर अनेक विशेषण बनते हैं, जैसे खाना से खाऊ, घोटना से घोटू। इसी प्रकार भिड़ना + ऊ से बना…
"अनुगृहीत हूँ, अनुग्रह बना रहे।" √ग्रहृ (ग्रहण करना, लेना) से ग्रह, विग्रह, अनुग्रह, संग्रह ठीक हैं; ग्रहीत, अनुग्रहीत नहीं। गृहीत✓, अनुगृहीत✓ शुद्ध हैं।
🙏🌹 कोई नि:स्वार्थ और खुले दिल से ऐसी प्रशंसा करे तो जीने को मन करता है। 😀 धन्यवाद हृदयेश। @hridayeshjoshi
सुबह सुबह इतना सरस और पठनीय गद्य मिले तो क्या बात है। जानकारी से भरपूर। आपका होना हमारे लिए बड़ा सौभाग्य है। धन्यवाद @drsureshpant
सुबह सुबह इतना सरस और पठनीय गद्य मिले तो क्या बात है। जानकारी से भरपूर। आपका होना हमारे लिए बड़ा सौभाग्य है। धन्यवाद @drsureshpant
'अलीबाग' से आया है क्या? अनेक स्थानों, समुदायों को लेकर ऐसी कहावतें चल पड़ती हैं जिनका उद्देश्य अपमान करना नहीं, केवल उपहास या मनोरंजन होता है; जैसे: उ प्र में तीन हैं: शिकारपुर, कुर्सी, भोगाँव, (पूर्वी उ प्र में बलिया, पडरौना भी) हरियाणा में शिकारपुर बिहार में झुमरीतलैया, बारो…
जामिः - भगिनी कुलस्त्री जामेय: - भागिनेयः जामाता - दुहितृपतिः जामा - पुत्री #संस्कृतम्
एकवचन संज्ञा को बहुवचन बनाने के लिए कुछ स्वतंत्र शब्द हैं– लोग, गण, वृंद, वर्ग। ये मनुष्यों से संबंधित संज्ञाओं के साथ ही जुड़ते हैं, अन्य के साथ नहीं। जैसे नेता लोग ठीक है; पशु लोग, पेड़ लोग नहीं। गण, वृंद, वर्ग नित्य बहुवचन हैं। 'वर्ग' का व्यवहार विचित्र है– बहुवचन बनाता है,…
उमा पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण नवजात कन्या का नाम बंधु-बांधवों ने पार्वती (पर्वत की पुत्री) रखा। पर्वत-सी दृढ़ता, स्थिरता, सहनशीलता और कठोर परिश्रम जैसे गुण उसके स्वभाव में दिखाई पड़ते होंगे। उमा की माँ मैनावती को लगा कि इन आनुवंशिक गुणों से तो यह लड़की कठोर तपस्या…
बालम मेरे एक आलेख के आधार पर 'बालम' शब्द की व्युत्पत्ति पर @nayidharahindi की प्रस्तुति। instagram.com/reel/DMaRk6UPn…
रेगिस्तान से अधिक गर्मी पड़ती है। कूड़े के अनेक ऊँचे-ऊँचे पहाड़ हैं। सौभाग्य से दिल्ली का सर्वोच्च और सर्व सुगंधित पर्वतराज "गाज़ीपुर" मेरी बस्ती के निकट ही है जो कुतुबमीनार से भी ऊँचा बताया जाता है। केवल समुद्र और हिमपात दुर्लभ है।
दिल्ली में समुद्र, रेगिस्तान, पहाड़ और बर्फ़बारी के अलावा बाक़ी सारे मज़े हैं।
वर्षा के दिन को "दुर्दिन" भी कहा जाता है। अभी वसुंधरा एन्क्लेव अपनी दिल्ली, अपनी बस्ती
होरी ने फटी हुई मिरजई को बड़ी सावधानी से तह करके खाट पर रखते हुए कहा - तो क्या तू समझती है मैं बूढ़ा हो गया? अभी तो चालीस भी नहीं हुए। मर्द साठे पर पाठे होते हैं। - गोदान
'मैंने जाना है' वाक्य रचना के लिए केवल पंजाबी प्रभाव ही दोषी नहीं है। हिंदी की कुछ बोलियों, उपभाषाओं में भी ऐसी रचना में 'ने' का प्रयोग होता है जो हिंदी में संक्रमित हो गया है। हिंदी में कर्ताकारक में “ने” के प्रयोग का स्पष्ट नियम है कि भूतकाल में सकर्मक क्रिया के साथ ही इसका…
हिंदी में ‘ने’ के बारे में एकरूपता नहीं है। नियम है कि भूतकाल में सकर्मक क्रिया के साथ ही 'ने' का प्रयोग होगा, फिर भी क्रिया से ‘-ना’ जोड़कर बनाए गए संज्ञा शब्दों के साथ इस प्रकार के वाक्य चलते हैं : मजदूर ने काम पूरा करना है। शिल्पा ने दो बजे पहुँचना था। मैंने काम पर जाना है।…
वक्ता हो या 'बकाता' हो, भाषा तभी तक आपकी है, जब तक मुँह के भीतर है। बाहर निकलते ही वह सार्वजनिक संपत्ति हो जाती है। बंदूक की गोलियाँ वापस नहीं आया करतीं। #संगत100 #ज्ञानरंजन
'सठिया जाना' मुहावरा यों तो साठ से अधिक के वयोवृद्धों के मानसिक परिवर्तनों को लेकर बना है, किंतु इधर हिंदी के कुछ बड़े सयानों के अयाने बयानों को देखते हुए लगता है कि अब इस मुहावरे को 'असिया जाना' कहें तो कैसा रहे?
हिंदी में ‘ने’ के बारे में एकरूपता नहीं है। नियम है कि भूतकाल में सकर्मक क्रिया के साथ ही 'ने' का प्रयोग होगा, फिर भी क्रिया से ‘-ना’ जोड़कर बनाए गए संज्ञा शब्दों के साथ इस प्रकार के वाक्य चलते हैं : मजदूर ने काम पूरा करना है। शिल्पा ने दो बजे पहुँचना था। मैंने काम पर जाना है।…
दिल में हो कहानी सपना हो कहानीकार बनने का तो उठाएँ ✍️ और हो जाएँ शुरू ...! युवा प्रतिभाओं के लिए अवसर: कहानी लिखने और प्रकाशित होने का!!
