चाय, इश्क और राजनीति।
@chayisquerajnit
ख़त लिखने वाला लड़का❤️ DM for ghostwriting.
अगर आप सिर्फ फॉलो बैक के लिए आ रहे हैं, तो रुकिए। मत आइए। मैं यहाँ न तो सेलिब्रिटी बनने आया हूँ, न ही payout के जाल में फँसने। जो लोग मुझे प्रमोट कर रहे हैं - वो मेरे लिए बड़े भाई, बड़ी बहन जैसे हैं। वो मुझे प्यार करते हैं, और मुझे ऊंचाई पर देखना चाहते हैं। मैं उनका स्नेह सिर…
"गुलज़ार :एक धूप की किरण की तरह, जो खिड़की से अंदर आई और शब्द बन गई।" प्रिय गुलज़ार साहब, आजकल बारिश कुछ ज़्यादा ही होने लगी है। लेकिन शहर के जिस कमरे में बैठकर मैं आपको ये ख़त लिख रहा हूं, वहाँ न कोई खिड़की है, न धूप। बस एक पंखा है, जो थक हार कर चल रहा है, और एक दीवार है, जो…

एक बिस्तर है, जहां शरीर तो हर रात थककर गिर पड़ता है, लेकिन मन... मन जैसे नींद से कोई पुरानी दुश्मनी पाल बैठा हो। हर करवट के साथ एक अधूरी याद चुभती है, हर तकिये की सिलाई में कोई अनकहा शब्द सिसकता है। एक दीवार है - जो आंगन की पेड़ लगती है, इतनी जानी-पहचानी, जैसे बरसों साथ निभाया…
"सम्राट नहीं, बयानबाज़ी का भस्मासुर है ये आदमी!" प्रिय सम्राट चौधरी, माफ़ कीजिएगा, सम्राट कहते हुए ही ज़ुबान काँपती है। शब्द के भार से नहीं, बल्कि उस विडंबना से जिसे आप दिन-ब-दिन जिया करते हैं। सम्राट अगर सत्ता और सभ्यता का प्रतीक होता है, तो आप उस शब्द के ध्वंसक हैं - एक ऐसा…

"ख़त, उस आवाज़ के नाम, जो संसद में नहीं पहुँची, फ़िर भी आग है। प्रिय कन्हैया, @kanhaiyakumar तुम संसद नहीं पहुँचे। ना उस ऐतिहासिक भवन में बोल सके, जहाँ लोग एक-दूसरे को "मान्यवर" कहकर अपमान करते हैं। लेकिन तुम्हारी आवाज़ फिर भी संसद तक पहुँची - दरवाज़े नहीं हिले, पर दीवारें…

"युद्ध, गर्व और लाशें।" प्रिय कारगिल, तुम्हें क्या कहूँ? एक युद्धभूमि? एक कब्रिस्तान? एक विजय-गाथा? या वो देवताओं की घाटी जहाँ भारत के सपूतों ने अपने लहू से वंदे मातरम् लिखा था? मैंने तुम्हारे बारे में किताबों में पढ़ा है, वृत्तचित्रों में देखा है, नेताओं के भाषणों में…

"डंका या PR" प्रिय बहन, आज तुम्हारा वीडियो देखा - वो जिसमें तुम अपने आंसुओं में डूबी हो, आँखें लाल हैं, शब्द फड़फड़ा रहे हैं, और तुम्हारा वाक्य देश भर में घूम रहा है: "मोदी जी ने मेरा हाथ छू लिया… अब मैं ये हाथ नहीं धोऊंगी" तुम्हारे भीतर उठे इस भावावेग के प्रति मेरा पूरा…

"वो लौहपुरुष जो पत्थर नहीं, मिट्टी से बना था।" प्रिय सरदार, आज आज़ादी की उम्र 78 बरस की होने वाली है। यह देश, जो आपकी दृढ़ता और लौह-संकल्प का फल है, अब अधेड़ हो चला है, पर भीतर कहीं बच्चा ही बना रह गया है- अभी भी कभी-कभी लड़खड़ाता है, बिखरता है, टूटता है। और तब मुझे आपकी याद…

' जो कुछ भी अब अतीत है, वह भी कभी भविष्य की बात होगी।' –एफ. डब्ल्यू. मीटलैंड
"जब विश्वविद्यालय शाखा बना, और प्रोफेसर प्रचारक।" प्रिय संगीत रागी, @RagiSangit आपको “आदरणीय” कहने की इच्छा थी, पर आदर वहाँ उपजता है जहाँ विचार के खेत में तर्क की फसल उगती है, भाषा की मर्यादा से सिंचाई होती है और विनम्रता की धूप उसपर पड़ती है। दुर्भाग्य से, आपके बातों में न तो…

"चंद्रशेखर आज़ाद, हमने तुम्हें धोखा दिया।" प्रिय आज़ाद, कभी-कभी सोचता हूँ- अगर आज तुम होते, तो इस आज़ादी को देखकर क्या मुस्कुरा पाते? या फिर अपनी वही भौंहें चढ़ा लेते, जिनके नीचे तुम्हारी आँखों में आग नहीं, आग का महासागर धधकता था? आज तुम्हारी जयंती है। और मैं तुम्हें फूलों से…

"उन रास्तों का मुसाफ़िर, जो रेत में भी फूल उगाना जानते हैं" प्रिय सचिन पायलट जी, @SachinPilot आपको ख़त लिखना वैसा ही है जैसे कोई नदी, समंदर से बतियाए। आप राजनीति में हैं, और मैं, शब्दों की झोपड़ी में रहता हूँ, लेकिन दिलों का भूगोल अगर सच्चा हो, तो दूरी कभी ज़ुबान में नहीं आती।…

"लोकसभा अध्यक्ष या सत्तासभा के वफ़ादार" प्रिय ओम बिरला जी, आपका नाम "ओम" है - वह ओम, जिससे ब्रह्मांड की उत्पत्ति मानी जाती है, पर संसद में आपकी उपस्थिति से सिर्फ़ एक शोर उपजता है - "वेल में मत आइए", "शांति रखिए", "आप बैठ जाइए", - लेकिन वो सब सिर्फ विपक्ष के लिए होता है। आपके…

"आईना झूठ नहीं बोलता है।" प्रिय आईने, तुम्हें ख़त लिखना कुछ वैसा ही है, जैसे कोई अपने ही अक्स से बातें करे। जैसे किसी सूने कमरे में कोई बुदबुदा रहा हो - और जवाब में वही आवाज़ लौट आए, कुछ और भारी होकर, कुछ और गूंजती हुई। तुम्हें न जाने कब से देखता आया हूं। सुबह की नींद से…
