UP ki Double Engine Raftaar
@UpKiRaftaarGovt
डबल इंजन की गति, यूपी की प्रगति
अखिलेश यादव ने अपनी तुष्टिकरण की राजनीति में न संविधान की गरिमा का ध्यान रखा और न ही इस्लाम की मर्यादा का। मस्जिद में राजनीतिक बैठक कर उन्होंने धर्म को राजनीति से जोड़कर संविधान का अपमान किया, वहीं महिला और पुरुषों को एक साथ मस्जिद में बैठाकर इस्लामिक परंपराओं की भी अवहेलना की।…

Speaks loud for vote banks, stays silent on Sanatan, Akhilesh’s red lines are drawn in double standards.
Whether it's ignoring Sanatani sentiments or posturing for selective outrage, Akhilesh Yadav has made it clear — votes matter more than values.

गोरखपुर वासियों ने नगर को स्वच्छ बनाने में अभूतपूर्व और अद्भुत कार्य किया है। यह ना सिर्फ नगर निगम के परिश्रम को बल्कि नगरवासियों के सहयोग को भी दर्शाता है।
योगी सरकार हर वर्ष कांवड़ियों के लिए ब उत्तम व्यवस्था करती है, इस बार महिलाओं की सुरक्षा के लिए जो विशेष व्यवस्थाएं की हैं, वह अत्यंत अभिनंदनीय हैं।
योगी सरकार ने कांवड़ यात्रा को सकुशल संपन्न कराने के लिए जो प्रबंध किए हैं, वे वास्तव में सराहनीय हैं। विशेष रूप से महिला श्रद्धालुओं के लिए जो व्यवस्थाएं की गई हैं, वैसी व्यवस्थाएं पहले कभी किसी सरकार ने नहीं कीं।
श्रावण मास में भगवान शिव की नगरी काशी में श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। अलग-अलग राज्यों से लोग बाबा श्री काशी विश्वनाथ के दर्शन के लिए आ रहे हैं। छत्तीसगढ़ से वाराणसी पहुंचे श्रद्धालु ने व्यवस्थाओं पर अपना अनुभव साझा किया है। #KanwarYatra2025
सावन के पवित्र महीने में अखिलेश यादव ने भगवान शिव को एक लोटा जल तक अर्पित नहीं किया, लेकिन मस्जिद में सिर झुकाने जरूर पहुंच गए। वहीं योगी आदित्यनाथ शिव भक्तों पर पुष्पवर्षा कर रहे हैं, मंदिरों में रुद्राभिषेक कर रहे हैं और पूरे मन से सनातन आस्था का सम्मान कर रहे हैं। यही अंतर है…

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥ माननीय मुख्यमंत्री श्री @myogiadityanath जी आज जनपद गोरखपुर में मानसरोवर मंदिर में शिव आराधना एवं रुद्राभिषेक कर भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त किया।



आस्था के सम्मान का अद्भुत दृश्य गोरखपुर और संतकबीरनगर में मंदिरों और कांवड़ियों पर हुई भव्य पुष्पवर्षा ने यह साबित कर दिया कि योगी सरकार केवल आस्था का सम्मान नहीं करती, बल्कि उसे उत्सव की तरह सहेजती भी है। झारखंडी, मानसरोवर, गोरखनाथ, मोटेश्वरनाथ और तामेश्वरनाथ जैसे तीर्थस्थलों…




अखिलेश यादव ने वोट बैंक के डर से आज तक राम मंदिर की दहलीज तक नहीं छुई, जबकि योगी आदित्यनाथ ने राम मंदिर के लिए सत्ता तक को त्यागने की बात कह दी थी। एक के लिए आस्था बोझ है, तो दूसरे के लिए जीवन का संकल्प।

एक ओर अखिलेश यादव हैं, जिनकी राजनीति मस्जिदों की चौखट से तय होती है, वहीं दूसरी ओर योगी आदित्यनाथ हैं, जो महाकुम्भ की आस्था के बीच बैठकर जनसेवा और राष्ट्रनिर्माण की दिशा तय करते हैं। यही है आस्था बनाम तुष्टीकरण का असली अंतर।
