Vismrita
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उस ने मंज़िल पे ला के छोड़ दिया उम्र भर जिस का रास्ता देखा ~ नासिर काज़मी
इक नाम था जिससे पूरा बीहड़ थर्राता था इज़्ज़त से खेले थे जो उन नामर्दों के सीने पर लोहे-लकड़ी की कलम बना पीतल की स्याही भरकर के लिखा उन्होंने अपना न्याय हर किसी को याद है अब तक नाम था उसका “फूलन देवी ,, वो ग़लत थी ये भी सच है लेकिन वो सही थी ये भी ज़रूरी था ~ अश्विनी यादव

तुम से पहले वो जो इक शख़्स यहाँ तख़्त-नशीं था उस को भी अपने ख़ुदा होने पे इतना ही यक़ीं था ~ हबीब जालिब
तुम ऐसे मेरे हाथ को पकड़े रहो और मैं इक दीद में सौ दर्द भुला दूँगा मेरी जान ~ अश्विनी यादव ❤️🐶
दुश्मनों के साथ मेरे दोस्त भी आज़ाद हैं देखना है खींचता है मुझ पे पहला तीर कौन - परवीन शाकिर
ये मज़ा था दिल-लगी का कि बराबर आग लगती न तुझे क़रार होता न मुझे क़रार होता ~ दाग़ देहलवी
जो आपका अपना है , आपसे प्यार करता है वो मुश्किलों को पार करके वापस ज़रूर आता है। ❤️
करूँगा क्या जो मोहब्बत में हो गया नाकाम मुझे तो और कोई काम भी नहीं आता - गुलाम मोहम्मद क़ासिर
बिछड़ गए तो ये दिल 'उम्र भर लगेगा नहीं लगेगा लगने लगा है मगर लगेगा नहीं नहीं लगेगा उसे देख कर मगर ख़ुश है मैं ख़ुश नहीं हूँ मगर देख कर लगेगा नहीं - उमैर नजमी
बद-क़िस्मती को ये भी गवारा न हो सका हम जिस पे मर मिटे वो हमारा न हो सका – शकेब जलाली
हर बार मेरे सामने आती रही हो तुम हर बार तुम से मिल के बिछड़ता रहा हूँ मैं ~ जौन एलिया
जिन के आँगन में अमीरी का शजर लगता है उन का हर ऐब ज़माने को हुनर लगता है -अंजुम रहबर
तुझको क्या ख़बर कि इक सादा लौह को बर्बाद कर दिया तेरे दो दिन के प्यार ने ~ साहिर लुधियानवी
प्रेम, चतुर मनुष्य के लिए नहीं, वह तो शिशु से सरल हृदयों की वस्तु है। ~ जयशंकर प्रसाद
मेरी तलब था एक शख़्स वो जो नहीं मिला तो फिर हाथ दु'आ से यूँ गिरा भूल गया सवाल भी ~ परवीन शाकिर
“मैं बेहतर टेनिस खिलाड़ी बनना चाहता हूँ लेकिन इससे जरूरी बेहतर इंसान बनना चाहता हूँ, दरअस्ल आपकी सफ़लता सिर्फ़ आपको फ़ायदा देती है लेकिन आपका अच्छा इंसान होना दुनिया को ख़ूबसूरत बनाता है।” ~ जैनिक सिनर 🌻🎾 #janniksinner #wimbledon
वे शेष हैं, अशेष हैं, प्रशेष हैं, विशेष हैं जो उनको जैसा धार ले, वे उसके जैसा वेश हैं ~ आलोक श्रीवास्तव #सावन_सोमवार #हर_हर_महादेव

गुज़र तो जाएगी तेरे बग़ैर भी लेकिन बहुत उदास बहुत बे-क़रार गुज़रेगी ~ हसरत मोहानी
इस दुनिया को छोड़ के जिस में तुम भी हो जाता कौन है लेकिन जाना पड़ता है ~ नदीम भाभा