Raghvendra Dwivedi
@RaghvendraLive
TV Journalist | Earlier @NetworkITV & @DDNewsLive | Student of Poetry | Alumnus @IIMC_India | Views are Strictly Personal | भीगा हुआ इंसान बारिश से नहीं डरता।
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बुनियाद में उसूल हैं, तामीर में अना अपने ही घर को कैसे भला तोड़-फोड़ दें बरसों चले हैं धूप में रफ़्तार के लिए अब आप चाहते हैं कि रफ़्तार छोड़ दें ~ राघवेंद्र द्विवेदी
कौन अपनी मर्ज़ी से जी रहा है दुनिया में ज़िंदगी थिरकती है वक़्त के इशारे पर ~ राघवेंद्र द्विवेदी
नींद का बोझ यूँ पलकों पे उठाए रखना रत-जगी आँख में कुछ ख़्वाब सजाए रखना इश्क़ में रात गई बात गई से आगे सिलसिला दिन के उजाले में बनाए रखना वो बुलंदी से उतारेंगे परेशाँ कर के तुम इसी बात पे मेआ'र बनाए रखना ये अलग बात कि आसान नहीं है लेकिन झूट के दौर में दस्तार बचाए रखना मैं तिरे…
रहते हैं मुझमें एक नहीं दो मिज़ाज-दाँ शायर का रंग और सहाफ़ी का और है ~ राघवेंद्र द्विवेदी

आवाज़ सुन के अन-सुना करते हो बारहा मुमकिन है कल पुकारने वाला कोई न हो ~ राघवेंद्र द्विवेदी
जब ज़रूरत थी उसे तो सर को शाने पर रखा काम उसका हो गया तो फिर निशाने पर रखा हर क़दम शतरंज जैसी चाल चलती ज़िंदगी जीत हो या हार हो सब एक खाने पर रखा ~ राघवेंद्र द्विवेदी #InternationalChessDay

खाने के दाँत और दिखाने के और हैं हर आदमी नक़ाब में जीता है ज़िंदगी ~ राघवेंद्र द्विवेदी
आने वाली पीढ़ियों के लोग जान पाते कि जीने का एक अंदाज़ ऐसा भी था
याद करने की वो शिद्दत खो गई जाने कहाँ अब किसी को हिचकियाँ भी देर तक आती नहीं ~ राघवेंद्र द्विवेदी
उसको गले लगाने से पहले ये देखना वो शख़्स तुमसे हाथ मिलाता है किस तरह राघवेंद्र द्विवेदी
पहले थमा के उस्तरा बंदर के हाथ में क्यों रो रहे हैं आप बुरा हाल देख कर ~ राघवेंद्र द्विवेदी
कुछ इस तरह वो रंग बदलता है बार बार गिरगिट भी शर्मसार है अपने वजूद पर ~ राघवेंद्र द्विवेदी
जब ख़ुशी महसूस करने की कोई सूरत न हो ग़म उठाने का सलीक़ा ग़म को पीना सीखिए ज़िंदगी के मसअले तो हल कभी होंगे नहीं मसअलों के दरमियाँ ही आप जीना सीखिए ~ राघवेंद्र द्विवेदी
हार में रहते हैं छुप के जीत जाने के सबक़ हौसला ज़िंदा है मातम क्यों मनाएँ हार पर ~ राघवेंद्र द्विवेदी #INDvsENGTest

पवित्र श्रावण मास के प्रथम सोमवार की हार्दिक शुभकामनाएँ। देवाधिदेव महादेव कल्याण करें🙏 ॐ नमः शिवाय.. हर हर महादेव🙏

वाह क्या बात है .... @RaghvendraLive #संकलन • #Sankalan
तू आसमान सर पे उठाने की बात छोड़ पैरों तले ज़मीन बचाने की फ़िक्र कर ~ राघवेंद्र द्विवेदी
उसको गले लगाने से पहले ये देखना वो शख़्स तुमसे हाथ मिलाता है किस तरह ~ राघवेंद्र द्विवेदी
तू आसमान सर पे उठाने की बात छोड़ पैरों तले ज़मीन बचाने की फ़िक्र कर ~ राघवेंद्र द्विवेदी
चेहरा सजा के देख लिया क्या मिला तुम्हें किरदार को सँवारते तो बात और थी ~ राघवेंद्र द्विवेदी
मेरी ज़मीन और मिरा आसमान हैं मेरे लिए तो आप मुकम्मल जहान हैं ~ राघवेंद्र द्विवेदी
