खुरपेंच Satire
@Khurpench_
ना नेता का चेला , ना पार्टी का गुलाम , हर झांसे पे लुटा हुआ एक आम इंसान ।। विचार : सतरंगी झण्डा के समर्थक।। सदस्य खुरपेंच स्टाफ ।।
खुरपेंच कोई ट्रोलिंग का नाम नहीं है भाई , हमें हमेशा गलत के विरोध में खड़ा रहना है , जब हम गलत के विरोध में खड़े होते है तब हमको जाति , धर्म नहीं देखना है । हमारे लिए देश सर्वोपरि है , देशविरोधी ताकतों , देशविरोधी लोगों , देश को हानि पहुंचाने वाले लोगों , भ्रष्टाचारी लोगों…
SSC का नया वेंडर सिस्टम नहीं, एक पूरा ट्रैजेडी लेकर आया है। लाखों छात्र, उनके सपने, और भविष्य के साथ खेला गया। कहीं पेपर रद्द, कहीं तकनीकी त्रुटियाँ, कहीं सुरक्षा और बायोमेट्रिक व्यवस्था का फेल होना यह कोई मामूली तकनीकी खराबी नहीं, यह पूरी व्यवस्था की मानसिक हत्या है। #SSCReforms…
लखनऊ की छवि खराब करने के लिए इस देशद्रोहि पर रासुका से कम कोई धारा लगनी नहीं चाहिए।https://t.co/sNm7PJ1Hdk
हर साल SSC का नया तमाशा होता है >> कभी सेंटर गायब, कभी पेपर लीक , कभी वेंडर फरार। अब 2025 में तो हद हो गई > कीबोर्ड और माउस तक सही नहीं। और ऊपर से भाषणों में हम डिजिटल इंडिया की चूड़ी पहन चुके हैं। एग्ज़ाम रद्द? हाँ भाई , जैसे पानी में पत्थर फेंक दिया। कोई कितनी दूर से आया,…
📍 कोतवाली क्षेत्र , मिर्जापुर , उत्तर प्रदेश एक इंस्पेक्टर ने दुकान से चश्मा लिया , न पैसा दिया और ऊपर से दुकानदार को धमकी दी जो करना है कर लो। जब चोरी आदत बन जाती है , तो इंसान दिनदहाड़े भी बेहिचक चोरी करने लगता है। ऐसे लोग जनता के रक्षक नहीं, भक्षक बन चुके हैं।
Last week one @bankofbaroda CM committed Suic!de and CMD called for Work Life Balance. But next week issue letter to work on weekend, shows How Shameless their managment in reality. No Work is Urgent more than a Life. What @aiboboa Leaders doing here!
अंधेर नगरी चौपट राजा टके सेर भाजी टके सेर खाजा , वहीं हाल हो गया जिसके गले फंदा फिट बैठे उसी को लटका दो।

जब हज़ार करोड़ में दरकने से पहले संसद भवन बन सकती है , तो लाख-पांच लाख में मजबूत स्कूल बनाना इतना मुश्किल क्यों है?
> सरकारी स्कूल की छत ही क्यों गिरती है , फॉर्महाउस की क्यों नहीं गिरती? > अस्पताल की छत गिरती है, स्वास्थ्य मंत्री के चेंबर की क्यों नहीं? > पंचायत भवन की छत गिरती है, सचिवालय की क्यों नहीं? > आदिवासी छात्रावास की छत गिरती है, मुख्यमंत्री कैंप ऑफिस की क्यों नहीं? > गरीब की…
सरकारे फंड देती है विद्यालयों के मरम्मत और पुनर्निर्माण के लिए , लेकिन गांव के प्रधान जी, पंचायत सचिव जी और ठेकेदार साहब सब मिलकर आधा से ज्यादा फंड कागजों में खर्च कर देते हैं और बाकी फंड में होता है सिर्फ नाम का काम। परिणामस्वरूप, घटिया क्वालिटी की सीमेंट, अधपकी मोरंग और कमजोर…
शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य > सोचने, समझने, और बेहतर नागरिक गढ़ने का > कहीं गुम हो गया है। इसलिए सरकार को केवल योजनाओं की घोषणाओं से आगे बढ़कर गंभीरता से ज़मीनी हकीकत की समीक्षा करनी चाहिए। स्कूलों की नियमित ऑडिट हो। निरीक्षण में पारदर्शिता लाने के लिए थर्ड पार्टी मूल्यांकन…
📍 झालावाड़ , राजस्थान , इंडिया जो रोज़ वक्त से पहले स्कूल पहुंचते थे , आज वक्त से पहले श्मशान पहुंचा दिए गए। जिम्मेदार बोले हमें बहुत अफसोस है... और अगली सुबह फिर उसी कुर्सी पर बैठकर किसी और इमारत की मौत का इंतज़ार करने लगे।
याद रखिए >> आपका वोट नेता आपके ही पैसे से खरीदता है। आपकी सुविधाओं के नाम पर जो फंड रिलीज होता है, उसका 50% वो सत्तू की तरह पी जाते हैं। फिर चुनाव में उसी चोरी की कमाई का 20% खर्च करके आपको देसी ठर्रे, पौवे और मटन-चिकन खिलाते हैं। और 80% मूर्ख लोग नेता जी की फेंकी हुई थाली चाटकर…
क्या आपको पता है कि कुछ नेताओं को छोड़कर 85% नेता आपको जाति, धर्म, भाषा का चादर क्यों ओढ़ा देते हैं? इसलिए ओढ़ा देते हैं, ताकि आपके टैक्स के पैसों से जो जनकल्याणकारी योजनाएं चल रही हैं, उनका फंड वो लस्सी की तरह पी सकें। अगर वो आपको धर्म, जाति, भाषा का चश्मा नहीं पहनाएंगे, तो आप…
वेदना को समझने के लिए संवेदना चाहिए जो कि हमारे देश के भ्रष्ट नेताओं , अधिकारियों और शासकों में शून्य के बराबर है। क्योंकि उनकी संवेदनशीलता सिर्फ दुःख प्रकट करने के ट्वीट तक है।https://t.co/6GciRpK4f1
आइए समझते हैं भ्रष्टाचार का पोटेंशियल डिफरेंस , जिसे हम भ्रष्टावांतर भी कहते हैं। परिभाषा >> जब सरकार किसी विकास कार्य के लिए एक निश्चित राशि जारी करती है , और उस कार्य में वास्तव में जो राशि खर्च होती है उन दोनों के अंतर को ही भ्रष्टाचार का पोटेंशियल डिफरेंस कहते हैं। सूत्र…
देश को अंदर से खोखला करने वाले दीमको के आने से पहले सड़कों के मरम्मत का कार्य जोरो शोर से शुरू हुआ।https://t.co/6VD4c7t9Uj
विकास की इमारतें सिर्फ कागज़ों में खड़ी होती हैं , असल में जो खड़ा होता है >> वो या तो घोटाला होता है या शव।
>लोकसभा की छत क्यों नहीं गिरती ? >विधानसभा की छत क्यों नहीं गिरती? >जज साहब के 3 बीघे वाली हवेली की छत क्यों नहीं गिरती ? >डीएम साहब के 2 बीघे वाली कोठी की छत क्यों नहीं गिरती ? >मंत्री जी के सरकारी आवास की छत क्यों नहीं गिरती? >सांसदों और विधायकों के सरकारी आवास की छत क्यों…
जब देश की बर्बादी का इतिहास लिखा जाएगा तो प्रस्तावना में सबसे पहले देश के दिमकों और राजनीतिक खरपतवारों का नाम सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा। नोट :> >खरपतवारों का कोई लेना देना मंत्री , सांसद , विधायकों से नहीं है। >दिमकों का कोई लेना देना अधिकारी , बाबू और ठेकेदारों से नहीं…
मेरे लिए देश के प्रधानमंत्री की जान भी उतनी ही कीमती है , जितनी किसी सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले मासूम बच्चे की।