Vinesh Gaba
@VineshGaba
I am a proud Bharatia
———— नए रिश्ते बनाइए …मगर …पुराने रिश्तों को मलबा बना कर…उनकी नींव पर नहीं। #सरूँ ————-
—— प्रेम में पड़े लोग दुःख पीड़ा और वेदना के सिवाय देख ही नहीं पाते कि उन्हें प्रेम में या प्रेम से और क्या मिला !!! मोहब्बत करना सभी के बसकी बात नहीं उम्र लग जाती है समझने में इकरार में एतबार में इंतज़ार में … ——— #सरूँ
—- शांत प्रेमिकाओं के मौन का फ़ायदा मत उठाओ नदियाँ जब सीमा लाँघती हैं तो शहर डूब जाते हैं तुम तो केवल प्रेम में हो। ———————— ~अज्ञात~ skech: personal …
—— बिलकुल उसी तरह जिस तरह इंसान तभी तक इंसान है जब तक वो प्रेम से लबरेज़ है वरना शरीर को बुत होते देखा है मैंने … ——- #सरूँ
ये #पर्बतों के दायरे ये शाम का धुआँ ऐसे में क्यों न छेड़ दें दिलों की दास्ताँ..!!🎶 ~साहिर लुधियानवी फिल्म: वासना (1968) चित्रगुप्त 🎧लता मंगेशकर/मो.रफी🎤 #प्रकृति ☘️🌿 #लेखनी✍️ @AarTee33 @margret_017 @Neer51355258 @AAlkA_Suthar @45177807livinGa youtu.be/fwwuHaqEEDw?si…
———- कभी-कभी लगता है …कि मैं …कविताएँ नहीं लिखती बल्कि… कविताएँ मुझे लिखती है!! ———- ~सरिता~
सघन मेघों का भीमाकाश गरजता है जब तमसाकार दीर्घ भरता समीर निःश्वास प्रखर झरती जब पावस धार न जाने, तपक तड़ित में कौन मुझे तब इंगित करता मौन! ~ सुमित्रानंदन पंत #प्रकृति ☘️🌿 #लेखनी ✍️
मैं चाहूँगा, मेरे प्रेम करने से पहले नदियाँ अनवरत हो जाएँ और पत्थरों से टकराने का सिलसिला थम जाए। डूब जाने का डर नदियाँ अपने साथ बहा ले जाएँ ! ~ रवि प्रकाश #प्रकृति ☘️🌿 #लेखनी✍️
मनमोहक ये पुष्प-गुच्छ तुम्हारे दे रहे संदेश जग में जब तपता स्वर्ण अंगारों में और निखरता रंग सोने-सी चमक बिखेर रहे तुम हे अमलतास..!! ~ सुनीता शानू #प्रकृति 🌿☘️ #लेखनी ✍️ @shanoo_sunita
धूम-धुआँरे, काजल कारे , हम हीं बिकरारे बादल , मदन राज के बीर बहादुर , पावस के उड़ते फणिधर ! चमक झमकमय मंत्र वशीकर छहर घहरमय विष सीकर, स्वर्ग सेतु-से इंद्रधनुषधर , कामरूप घनश्याम अमर ! ~ सुमित्रानंदन पंत #प्रकृति ☘️🌿 #लेखनी ✍️
पतझड़ की पगलाई धूप ! भोर भई जो आँखें मींचे, तकिए को सिरहाने खींचे, लोट गई इक बार पीठ पर ले लंबी जम्हाई धूप अनमन सी अलसाई धूप ! ~ मानोशी चटर्जी @cmanoshi #प्रकृति 🌺🌿 #लेखनी ✍️
पर्वत कहता शीश उठाकर, तुम भी ऊँचे बन जाओ। सागर कहता है लहराकर, मन में गहराई लाओ। समझ रहे हो क्या कहती हैं उठ उठ गिर गिर तरल तरंग भर लो भर लो अपने दिल में मीठी मीठी मृदुल उमंग! ~ सोहनलाल द्विवेदी #प्रकृति ☘️🌿 #लेखनी ✍️
जहाँ हँसे हैं लाल फूल, वहाँ नीले भी अक्सर खिल जाते निश्छलता कितनी प्रकॄति में रंग दूर के घुल-मिल जाते! सुघड़ पेड़ के पास खड़े मुँह बाये, तकते नहीं अघाते कितने सुकुमार ललायित अंकुर बूँद स्नेह की पा सिंच जाते! ~ सुनीता शानू #प्रकृति ☘️🌿 #लेखनी ✍️ @shanoo_sunita
चिर जन्म-मरण को हँस-हँस कर हम आलिंगन करतीं पल-पल, फिर फिर असीम से उठ-उठ कर फिर फिर उसमें हो-हो ओझल! ('लहरों का गीत' ) ~ सुमित्रानंदन पंत #प्रकृति 🌺🌿 #लेखनी ✍️
देख प्रकृति की ओर ! पर्यावरण सुरक्षित करने पालें नियम कठोर ! जैसे स्वस्थ त्वचा से आवृत रहे शरीर सुरक्षित वैसे पर्यावरण सृष्टि में सब प्राणी संरक्षित क्षिति जल पावक गगन वायु में रहे शांति चहुँ ओर देख प्रकृति की ओर ! ~ शास्त्री नृत्यगोपाल कटारे #प्रकृति ☘️🌿 #लेखनी ✍️
कहो तुम रूपसि कौन? व्योम से उतर रही चुपचाप छिपी निज छाया छवि में आप सुनहला फैला केश कलाप मधुर मंथर मृदु मौन। लाज से अरुण अरुण सुकपोल मदिर अधरों की सुरा अमोल बने पावस घन स्वर्ण हिंडोल कहो एकाकिनी कौन? ~ सुमित्रानंदन पंत #प्रकृति ☘️🌿 #लेखनी
सावन में यह नदी फैल, काँसे का थाल हुई संध्या अपना बिंब निहारे, सोना छुई-मुई अस्ताचल में सूर्य ठहर कर शोभा देख रहा मन का भाव छिपाए मन में,कुछ भी नहीं कहा वह क्षण आने ही वाला है, जब चलना होगा अंधकार आएगा पहने तारों का चोगा..!! ~ कृष्ण मुरारी पहारिया #प्रकृति ☘️🌿 #लेखनी ✍️
कभी बारिश की बूंदों को मुट्ठी में भर लेने में थी ज़िन्दगी, कभी बारिश के पानी में कागज़ की एक किश्ती सी थी ज़िन्दगी। सिमटी हैं वो बचपन की यादें, दौड़ती हैं साँसें, अब ज़िन्दगी रह गयी है क़ैद, बस वक़्त की रफ़्तार में..!! ~ संगीता @SangeetaSrileo #प्रकृति ☘️🌿 #लेखनी ✍️
हरी-हरी वसुंधरा पे नीला-नीला ये गगन, के जिस पे बादलों की पालकी उड़ा रहा पवन..!!🎶 #प्रकृति ☘️🌿 #लेखनी ✍️ #विश्व_प्रकृति_संरक्षण_दिवस 🎬 बूँद जो बन गई मोती (1967) 🖋️ भरत व्यास 🎵 सतीश भाटिया 🎤 मुकेश 🎞️ जीतेंद्र @madhuleka @ShwetaJha24 @margret_017 youtu.be/nsGFBICGsgY?si…
अलि अब सपने की बात-- हो गया है वह मधु का प्रात! ::जब मुरली का मृदु पंचम स्वर, ::कर जाता मन पुलकित अस्थिर, ::कम्पित हो उठता सुख से भर, ::::नव लतिका सा गात! ~महादेवी वर्मा #प्रकृति🌺🌿 #लेखनी✍️